दिल्ली-6 – एक बेहतरीन फ़िल्म
राकेश ओमप्रकाश मेहरा कि दिल्ली-6 एक बेहतरीन फ़िल्म है, अब किसी को आस्कर की रेस अच्छी लगती हो किसी को फ़िल्मफ़ेयर या अन्य अवार्डस जीतने की धुन, सही मायनों में अगर देखा जाये तो दर्शकों में लोकप्रियता से बढकर कोई चीज़ नही । यहां यह बता देना उचित रहेगा कि दिल्ली-6 जल्दी ही अपनी पकड भारत के दर्शकों में बना पायेगी इसमें मुझे तो रत्ती भर भी संदेह नही है ।
सही मायनों में फ़िल्म भारत से जुडी एक भारतीय द्वारा बनाई गई फ़िल्म है जिसे यहां की खूबियों-कमियों क पूरा-पूरा इल्म है । बहुत खूब राकेश तुम्हारी फ़िल्म को मै 10 में से 8 अंक देने को तैयार हूं । सभी कुछ इतनी चतुराई से पेश किया है कि एक आम भारतीय के लिये फ़िल्म में वह सब कुछ है जो वह देखना चाहता है, जानने की इच्छा रखता है या फ़िर उम्मीद करता है कि एक हिंदी फ़िल्म में हो ।
दिल्ली-6 के सभी कलाकारों ने भी अभिनय के वो अंदाज दिखाये है कि मन बरबस कह उठता है कि क्या अभिनय इतनी ही सरल चिडिया है जैसा दिल्ली-6 में देखने को मिला । मेरे हिसाब से कुछ लोगों ने अभिनय नही खुद अपने आपको जिया है खासकर जमादारनी की भूमिका कर रही नायिका ने – जी नही, मैं उसका नाम नही जानता – क्या इस बात से कुछ फर्क पडता है – मेरे लिये यह बात खास मायने नही रखती ।
अभिषेक बच्चन से मै काफ़ी संतुष्ट हूं, सोनम भी ठीकठाक दिखीं उनका रोल ज्यादा था भी नही – ओम पुरी, जयगोपाल (नुक्कड), गोबर, पुलिस इंस्पैक्टर, रमा बुआ ने अपने अपने किरदारों से दिल्ली-6 में जान डाल दी, वहीदा जी एवं ऋषि कपूर के अभिनय के बारें में मै कुछ कहूंगा तो सूरज को दिया दिखाने वाला मुहावरा मेरे उपर चेप दिया जायेगा ।
दिल्ली-6 वह फ़िल्म है जिसे मै दो-तीन बार थियॆटर में देखना चाहूंगा । इसलिये नही कि अभिषेक की फ़िल्म है या राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म है बल्कि इसलिये कि यह एक अच्छी फ़िल्म है ।
अभय शर्मा, भारत 21 फरवरी 2009 9.05 प्रातः
राकेश ओमप्रकाश मेहरा कि दिल्ली-6 एक बेहतरीन फ़िल्म है, अब किसी को आस्कर की रेस अच्छी लगती हो किसी को फ़िल्मफ़ेयर या अन्य अवार्डस जीतने की धुन, सही मायनों में अगर देखा जाये तो दर्शकों में लोकप्रियता से बढकर कोई चीज़ नही । यहां यह बता देना उचित रहेगा कि दिल्ली-6 जल्दी ही अपनी पकड भारत के दर्शकों में बना पायेगी इसमें मुझे तो रत्ती भर भी संदेह नही है ।
सही मायनों में फ़िल्म भारत से जुडी एक भारतीय द्वारा बनाई गई फ़िल्म है जिसे यहां की खूबियों-कमियों क पूरा-पूरा इल्म है । बहुत खूब राकेश तुम्हारी फ़िल्म को मै 10 में से 8 अंक देने को तैयार हूं । सभी कुछ इतनी चतुराई से पेश किया है कि एक आम भारतीय के लिये फ़िल्म में वह सब कुछ है जो वह देखना चाहता है, जानने की इच्छा रखता है या फ़िर उम्मीद करता है कि एक हिंदी फ़िल्म में हो ।
दिल्ली-6 के सभी कलाकारों ने भी अभिनय के वो अंदाज दिखाये है कि मन बरबस कह उठता है कि क्या अभिनय इतनी ही सरल चिडिया है जैसा दिल्ली-6 में देखने को मिला । मेरे हिसाब से कुछ लोगों ने अभिनय नही खुद अपने आपको जिया है खासकर जमादारनी की भूमिका कर रही नायिका ने – जी नही, मैं उसका नाम नही जानता – क्या इस बात से कुछ फर्क पडता है – मेरे लिये यह बात खास मायने नही रखती ।
अभिषेक बच्चन से मै काफ़ी संतुष्ट हूं, सोनम भी ठीकठाक दिखीं उनका रोल ज्यादा था भी नही – ओम पुरी, जयगोपाल (नुक्कड), गोबर, पुलिस इंस्पैक्टर, रमा बुआ ने अपने अपने किरदारों से दिल्ली-6 में जान डाल दी, वहीदा जी एवं ऋषि कपूर के अभिनय के बारें में मै कुछ कहूंगा तो सूरज को दिया दिखाने वाला मुहावरा मेरे उपर चेप दिया जायेगा ।
दिल्ली-6 वह फ़िल्म है जिसे मै दो-तीन बार थियॆटर में देखना चाहूंगा । इसलिये नही कि अभिषेक की फ़िल्म है या राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म है बल्कि इसलिये कि यह एक अच्छी फ़िल्म है ।
अभय शर्मा, भारत 21 फरवरी 2009 9.05 प्रातः
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