Sunday, November 23, 2008
जॊ बीत गई
जो बीत गई
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया,
अंबर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गये फिर कहां मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
(2)
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उसपर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियां
मुर्झाईं कितनी वल्लरियां,
जो मुर्झाईं फिर कहां खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
(3)
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन-मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते है,
जो गिरते हैं कब उठते हैं ;
पर बोलो टूटे प्यालों पर,
कब मदिरालय पछ्ताता है !
जो बीत गई सो बात गई !
(4)
मृदु मिट्टी के हैं बने हुये,
मधुघट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आये हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं,
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं,
वे मधु लूटा ही करते हैं,
वह कच्चा पीनेवाला है,
जिसकी ममता घट-प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
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